यूपी
कथावाचक के विवाद में संतो को सामाजिक सौहार्द की परंपरा अपनानी चाहिए : डॉक्टर मुरलीधर सिंह “अधिवक्ता”

कथावाचक के विवाद में संतो को सामाजिक सौहार्द की परंपरा अपनानी चाहिए : डॉक्टर मुरलीधर सिंह “अधिवक्ता”

अयोध्या
कथावाचक के विवाद में संतो को सामाजिक सौहार्द की परंपरा बढ़ानी चाहिए तथा सरकार के कार्यों में पूरा सहयोग करना चाहिए
हमारे देश का सनातन ग्रंथ मनुस्मृति वेद पुराण श्रीमद् भागवत रामायण आदि हैं
पर हमारे देश का शासन ग्रंथ भारतीय संविधान है
इसके अनुसार पर शासन होना चाहिए
हम जातिगत आधार पर अपने में लड़ते रहेंगे तो
हमको विश्व गुरु कौन मानेगा हम तो अपने घर की भी गुरु नहीं रहे
मा प्रधानमंत्री जी के सुरक्षा सलाहकार श्री अजीत दोवाल जी ने कहा था कि भारत को खतरा बाहर से कम अंदर से जाता है|

इस बात को ध्यान में रखते हुए हमें सामाजिक समरसता के लिए कार्य करना चाहिए तथा
अक्षम अधिकारियों को फील्ड से अनिवार्य रूप से हटना चाहिए |
जहां तक मेरा मानना है मनुस्मृति एक सनातन ग्रंथ है
और हमारा भारतीय संविधान एक राज्य ग्रंथ राज्य शासन ग्रंथ है|
हम आजादी के 78 वर्ष पूरे करने जा रहे हैं संविधान लागू होने के भी 75 वर्ष पूरे करने जा रहे हैं
संविधान के मूल अधिकार में अनटचेबिलिटी को अपराध माना गया है
हमने इतने राष्ट्रपति प्रधानमंत्री दिए सभी पदों पर भेदभाव रहित काम हुआ आज उत्तर प्रदेश के जनपद इटावा के थाना बकेवर के ग्राम में कथावाचक का अपमान भारतीय समाज का अपमान है
जो धर्माचार्य नेता जातिवाद समाप्त करने की बात करते हैं
उनके वचन का अपमान है
सरकार का काम कानून व्यवस्था बनाए रखना है
सामाजिक समरसता बनाने के लिए नियमों का प्रयोग करना है
लेकिन हमारे जो समाज है प्राचीन काल में वर्ण व्यवस्था थी पर आधुनिक काल में वर्ण व्यवस्था एक कल्पना है
यह जाति व्यवस्था है हम विश्व गुरु की बात करते हैं
क्या हम लोग अपने घर में गुरु की अपमान करेंगे
तो हमको विश्व गुरु कौन मानेगा हमारे देश में ऐसी अनेक संस्थाएं हैं और पथ हैं जहां सभी वर्ग के लोगों का सम्मान किया जाता है जैसे गयात्री शक्तिपीठ इस्कॉन इंटरनेशनल सोसायटी ब्रह्माकुमारी आदि संस्थाएं हैं अन्य धर्म में निरंकारी समागम का भी नाम लिया जाता है गुरुदेव संस्थान जो संचालित है उसका भी नाम लिया जाता है और प्रश्न उठता है कि हमारे इसमें शंकराचार्य महोदय जिनका उच्च स्थान है बोलो भी आकर अपनी बात कहते हैं
कहना चाहिए पर वह बदलते हुए भारत एक 21वीं सदी के भारत के बारे में नहीं कहते हैं कि की किनको किनको प्रवचन देने का अधिकार है भारत की एक विद्वानों की संस्था काशी विद्वत परिषद है अनादि काल से चलीआ रही काशी विद्वत परिषद ही संतो को ही परीक्षण कर जगत गुरु की उपाधि देती थी
पर आजकल अनेक संस्थाएं जगतगुरु बना रही है
जो जातिगत गुरु होते जा रहे हैं
जगतगुरु होता था वह शंकराचार्य के पद पर भी प्रतिष्ठित होता था हमारे जगतगुरु शंकराचार्य के चार पीठ के अलावे पांचवा पीठ श्रृंगेरी पीठ भी है जो शंकराचार्य जी का दर्जl है जिनको काशी विश्वनाथ मंदिर में भी सदस्य के रूप में पहले रखा गया था और रामानुजाचार्य संप्रदाय है इसका भी अपना विचार है पर हमारे जो आधुनिक बाबा हैं रामदेव बाबा श्री रविशंकर जी स्वामी चिन्मयानंद जी स्वामी साक्षी हरि महाराज जी आदि लोगों के इस पर विचार नहीं आए आना चाहिए और जहां तक हमारा मानना है हमने भी धर्मशास्त्र पढ़ा है भगवान राम के वंशज भगवान कृष्ण के वंशज भगवान गौतम बुद्ध के वंशज भगवान महावीर के वंशज बाबा कीनाराम जी के वंशज महर्षि विश्वामित्र के वंशज आदि को भी प्रवचन करने का अधिकार है
और जिस महापुरुष की गाथा है रामायण जिस महापुरुष की गाथा है महाभारत उसके परिवार के लोग उसके खानदान के लोग कैसे वह ग्रंथ का वचन या प्रवचन नहीं कर सकते
महाभारत के बाद श्रीमद् भागवत का स्थान है अन्य 18 पुराण है उन पुराने पर सभी वर्गों का अधिकार है
व्यक्ति
(जन्म जयते शूद्रों janam jayete shudropi
Karmeneti brahamanh)
कार्मिनती ब्राह्मण
यदि कम ब्राह्मण का नहीं तो प्रवचन कैसा हो सकता है और सभी को समाज के लोगों को इस पर चिंतन करना चाहिए
हमारे मानना है कि योगी जी की सरकार सामाजिक ऑर्डर मेंटेन करने के लिए अच्छा काम कर रही है इस सरकार को कुछ समाज विरोधी ताकते हैं राष्ट्र विरोधी ताकते हमेशा बदनाम करने का काम करती हैं उन पर कार्रवाई होनी चाहिए माननीय प्रधानमंत्री जी के सुरक्षा सलाहकार श्री अजीत डोभाल जी ने कहा था कि भारत को बाहर से कम खतरा है अंदर से ज्यादा खतरा इस बात को सभी को मनाना चाहिए और कर्मचारियों को सामाजिक ऑर्डर मेंटेन करने के लिए अच्छा कार्य करना चाहिए
अक्षम अधिकारियों को फील्ड से अनिवार्य रूप से हटा देना चाहिए |
जय हिंद जय भारत जय संविधान