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समाज और सरकार के लिए सोशल मीडिया भस्मासुर के समान है : डॉक्टर मुरलीधर सिंह शास्त्री (अधिवक्ता )
अयोध्या

समाज और सरकार के लिए सोशल मीडिया भस्मासुर के समान है : डॉक्टर मुरलीधर सिंह शास्त्री (अधिवक्ता )

अयोध्या
सोशल मीडिया के रिपोर्टरों को या मोबाइल चला मोबाइल से रिपोर्टिंग करने वालों को समाज की एवं देश की मर्यादाओं का ख्याल रखना चाहिए
सभी व्यक्ति सभी विषयों का जानकार नहीं हो सकता
अहमदाबाद विमान दुर्घटना में एवं राजा रघुवंशी के निर्मम हत्या में
मीडिया के लोगों को जानकारी के आधार पर और विधिक दृष्टि से रिपोर्टिंग करनी चाहिए
किसी भी विषय के एक्सपर्ट के रूप में नहीं
जो विभाग का अधिकारी जैसे सरकारी विभाग हवाई जहाज /विमान विभागका या पुलिस विभाग का या न्याय विभाग का वह अपने-अपने क्षेत्र का विशेषज्ञ है
सोशल मीडिया की रिपोर्टिंग अच्छी नहीं है मनमाने ढंग की 80% से ज्यादा काल्पनिक है
इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार को इसके लिए दिशा निर्देश जारी करना चाहिए यह दिशा निर्देश भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 के आधार पर होना चाहिए कि कौन किस आधार पर किस विषय पर बोल सकता है
सरकार को जो अधिकारी जी क्षेत्र में तैनात हो जी जो उसका कार्य क्षेत्र हो इस कार्य क्षेत्र में रहने के लिए आदेश देना चाहिए
समाज और सरकार के लिए सोशल मीडिया भस्मासुर के समान है
मैं समय-समय पर सरकार से पत्रकारों से वकील साथियों से अनुरोध करता रहता हूं
कि हम लोग राष्ट्र के लिए कlम करें और सभी आदमी सभी क्षेत्रों का जानकार नहीं हो सकता
लेकिन जब से सोशल मीडिया चला है तब से देखने में आता है कि हमारे मीडिया वाले साथी और कुछ सेवानिवृत्ति रिटायर लोग बहुत बड़े जानकार हो गए
सेवा में कोई विशेष कार्य नहीं किया कोई उनका सेवा में नाम भी नहीं रहा जहां भी रहे सुविधाओं का आनंद लेते रहे
और नौकरशाही के अंदर दो ही चार परसेंट ऐसे अधिकारी हैं जो संविधान के अनुसार कार्य किया करते हैं बाकी तो अपने हिसाब से सुविधा के हिसाब से करते हैं
कुछ तो अधिकारी अपने सेवा काल में अपने विभागीय कार्यों को के अलावे कविता लिखते हैं गजल लिखते हैं गीत नाटक के कार्यक्रम में जाते हैं सभी में सरकारी सुविधा सरकारी वाहन से जाते हैं
पर काम करते हैं निजी स्कूल के फंक्शन में जाते हैं
पर अपने-अपने विभाग के बारे में अपने सेवा काल में कोई विशेष लेख या उल्लेखनीय नहीं किया कि उसे विभाग को बेहतर कैसे बनाया जा सकता है
अनेक जगह से ट्रेनिंग करके करके चले आए पर उसके नोट्स भी सरकार के पास नहीं दिए जिसको की प्रशासनिक सुधार विभाग एक दिशा निर्देश करके सभी विभागों के लिए जारी करें
ऐसे में आ रहा है कि हमारे देश के लोग विदेश के लोग अहमदाबाद एयर क्रैश दुर्घटना में मर गए
अब विमान के बारे में एयर इंडिया के विमान के बारे में ड्रीम लाइनर के बारे में अनेक एक्सपर्ट पैदा हो गए जिसमें मीडिया के भी हैं कुछ हमारे साथी भी हैं
कुछ रिटायर नौकरशाह भी हैं नेताओं की तो बात ही अलग है सभी बातों में अपना अलग-अलग लगते हैं
सभी में उनका पक्ष विपक्ष नजर आता है वास्तव में अहमदाबाद की एयर इंडिया की विमान दुर्घटना ने अनेक लोगों के परिवार को अनाथ कर दिया है दुखी कर दिया है या प्रकृति की घटना है या ईश्वर की घटना दोनों मानिए
ईश्वर जो भी चाहता है वह अपने हिसाब से करता है
हमारे इंसान लोगों का धर्म है कि जो चीज सिस्टम में हो उसे सिस्टम का अपना नजर रखें ठीक से कम करें हमारे देश के नेता सत्ताधारी पार्टी के नेता केवल प्रचार करते हैं बयान देते हैं
एयर क्रैश होने का मुख्य कारण है सामान्य दृष्टि से कि उसकी मशीनरी की समय से जांच नहीं की गई उसकी क्षमता की जांच नहीं की गई और विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया जो भी तकनीकी रूप से लोगों ने जानकारियां दी
इसके बारे में उसका एक्सपर्ट ही बता सकता है कोई बाहरी व्यक्ति नहीं बता सकता कोई आम व्यक्ति नहीं बता सकता
मैं विशेष रूप से अपने मीडिया के साथियों से अधिवक्ता साथियों से अनुरोध करूंगा कि मीडिया के साथी न्यूज़ समाचार की व्याख्या करें हमारे अधिवक्ता साथी संवैधानिक दृष्टि से विधिक बिंदुओं की व्याख्या करें
सभी मामले का एक्सपर्ट होने से परहेज करें देश में आजकल दो मामले चल रहे हैं एक अहमदाबाद की विमान दुर्घटना दूसरा राजा रघुवंशी की निर्मम हत्या सोशल मीडिया पर छाया हुआ है पर राष्ट्रीय मुद्दे अनेक है बड़े-बड़े शहर में पीने का पानी नहीं है बड़े-बड़े क्षेत्र में सिंचाई के लिए पानी नहीं है मवेशियों के लिए पानी नहीं है कानून व्यवस्था के दृष्टि से सामाजिकताएं ताना-बाना खराब है बहुत से का गांव के लोग विशेष वर्ग के लोगों के उत्पीड़न से गांव पलायन कर रहे हैं हमारे देश में बांग्लादेशी या रोहिंग्या जब से आए
तब से इसी देश में आबाद हैं
हमारे बंगाल का मुर्शिदाबाद के पीड़ितों का कोई हल नहीं है हमारे पहलगाम गांव के मृतक के तथा सेवा के शहीदों केपरिवारों का हाल लेने वाला कोई है अभी है
ऐसे में सामाजिक रूप से जो जिम्मेदार लोग हैं और जो बुद्धिजीवी लोग हैं इसमें देश के प्रधानमंत्री को सोशल मीडिया के माध्यम से नहीं बल्कि
अपने-अपने पत्रों के माध्यम से ईमेल के माध्यम से जानकारियां देना चाहिए
हमें मानता हूं कि पत्र ईमेल नहीं पढ़े जाएंगे
लेकिन फिर भी वह एक रिकॉर्ड रहेगा जो भविष्य में देखा जाएगा और सरकार को या सरकारी मशीनरी का काम जनता की सेवा करना है जो भी सरकारी मशनरी में सेवाओं कर रहे हैं वह जनता द्वारा प्रेषित पत्रों को अध्ययन करना चाहिए जवाब दिया जाना चाहिए और केवल सोशल मीडिया से या कंप्यूटर के सिस्टम से उसका जवाब देने से काम नहीं होने वाला है
और मेरा आम जनता से अनुरोध है कि वह भी अपनी बात
भारतीय संविधान के तहत कहे कानून के अनुसार कहें कानून किसी भी प्रकार से अपने हाथ में ना लें और फील्ड के अधिकारी हैं जहां उनकी ड्यूटी हो वहां होता है
जय हिंद जय भारत