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अयोध्या में महिला पत्रकार के पिता की हत्या: दो साल बाद भी नहीं मिला न्याय परिवार दहशत में

अयोध्या में महिला पत्रकार के पिता की हत्या: दो साल बाद भी नहीं मिला न्याय परिवार दहशत में
भारतीय मीडिया फाउंडेशन ने कड़ी निंदा करते हुए दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग उठाई
नई दिल्ली
अयोध्या के मिल्कीपुर क्षेत्र में एक महिला पत्रकार नीलम सिंह के पिता स्वर्गीय राम सिंह की हत्या के दो साल बीत जाने के बावजूद भी, अयोध्या पुलिस अभी तक इस जघन्य अपराध में शामिल हत्यारोपियों को पकड़ने में नाकाम रही है। इस मामले में पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि पीड़ित परिवार को लगातार जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं, जिससे वे दहशत में जी रहे हैं और किसी भी समय अप्रिय घटना होने की आशंका बनी हुई है।
भारतीय मीडिया फाउंडेशन (BMF) ने इस पत्रकार विरोधी मानसिकता की कड़ी निंदा करते हुए, उत्तर प्रदेश सरकार से इस पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच कराने और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने की मांग की है।
*BMF ने उठाया पत्रकारों की सुरक्षा का मुद्दा*
भारतीय मीडिया फाउंडेशन की केंद्रीय मैनेजमेंट अफेयर्स कमेटी के केंद्रीय अध्यक्ष एके बिंदुसार ने अयोध्या में पत्रकार परिवार के साथ हो रहे इस अन्याय पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, “उत्तर प्रदेश में पत्रकार और उनके परिवार सुरक्षित नहीं हैं। पूरे सबूत होने के बावजूद भी अपराधी खुलेआम घूम रहे हैं।” उन्होंने इस अन्याय के खिलाफ सभी पत्रकारों से एकजुट होकर लड़ने का आह्वान किया।
*घटना का विस्तृत विवरण*
एके बिंदुसार ने घटना की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि यह मामला अयोध्या के मिल्कीपुर क्षेत्र के पलिया मु0 कुचेरा पलिया जगमोहन सिंह से जुड़ा है। महिला पत्रकार नीलम सिंह के पिता स्वर्गीय राम सिंह हत्याकांड में अपराध संख्या 435/23 के तहत अंकुर सिंह, विकास सिंह पुत्रगण पप्पू सिंह, मंजू सिंह पत्नी पप्पू सिंह, और गिरिजा देवी उर्फ लमबरदारिन पत्नी स्वर्गीय जगदीश सिंह (निवासी पलिया मुतालके कुचेरा पलिया जगमोहन सिंह) नामजद अपराधी हैं।
शिकायत के अनुसार, पूर्व साजिश के तहत 17 सितंबर 2023 को इन आरोपियों ने स्वर्गीय राम सिंह को बेरहमी से पीटा था, जिसके बाद इलाज के दौरान अस्पताल में उनकी मृत्यु हो गई थी। इस मामले की विवेचना कर रही अयोध्या क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर दिनेश कुमार यादव पर अपराधियों को संरक्षण देने और उन्हें पकड़ने में नाकाम रहने का आरोप है।
पीड़िता नीलम सिंह ने कई बार मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, केंद्रीय रक्षामंत्री और राष्ट्रपति को शिकायत पत्र भेजे हैं, लेकिन अयोध्या पुलिस द्वारा इस प्रकरण में कोई उचित कार्यवाही नहीं की गई और सिर्फ लीपापोती ही करती नजर आई है।
*जानलेवा हमला और पुलिस की निष्क्रियता*
अक्टूबर 2024 में भी विपक्षियों द्वारा महिला पत्रकार नीलम सिंह पर प्राणघातक हमला किया गया था, जिसकी शिकायत ऑनलाइन माध्यम से दी गई थी, लेकिन उस पर भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। एक साल बाद, पत्रकारों द्वारा कई बार विवेचना कर रहे इंस्पेक्टर दिनेश कुमार यादव को फोन करने पर, 18 नवंबर 2024 को सिर्फ एक अपराधी विकास सिंह को गिरफ्तार किया गया और उसी दिन न्यायालय में पेश कर तुरंत जेल भेज दिया गया। खास बात यह है कि विकास सिंह को रिमांड पर लेकर पूछताछ नहीं की गई और न ही राम सिंह हत्याकांड का खुलासा हुआ।
विकास सिंह की जमानत फर्जी शपथपत्र के जरिए 17 जनवरी 2025 को करवा ली गई। दो महीने बाद, अन्य आरोपियों ने भी अपनी अग्रिम जमानत लखनऊ हाईकोर्ट से फर्जी शपथपत्र दाखिल करके करवा ली।
*धमकी और दहशत का माहौल*
हाल ही में, 1 जुलाई 2025 को महिला पत्रकार अपने पत्रकार साथियों के साथ मिल्कीपुर तहसील अपने पिता स्वर्गीय राम सिंह द्वारा दान में दी गई जमीन पर अपराधीनी गिरिजा देवी उर्फ लमबरदारिन द्वारा किए जा रहे अवैध निर्माण कार्य के संदर्भ में उपजिलाधिकारी से मिलने गई थीं। वहां पहले से मौजूद अपराध संख्या 435/23 में नामजद अपराधीनी गिरिजा देवी उर्फ लमबरदारिन ने महिला पत्रकार और पूरे परिवार को जान से मारने की धमकियां देना शुरू कर दिया। उसने कहा, “दो वर्ष बीत गए, क्या कर लिया तुमने? पुलिस हमारी जेब में रहती है, मेरे पास पैसे की ताकत है, तुम मेरा कुछ भी बिगाड़ नहीं सकती हो।”
विरोध करने पर गिरिजा देवी ने अपना बयान बदलते हुए कहा कि “तुम्हारे पिता रामसिंह को हमने नहीं मारा है, वो छत से गिर गए थे।” इस पर दोनों पक्षों में विवाद भी हुआ। नीलम सिंह ने विपक्षियों द्वारा अवैध निर्माण, कब्जे और धमकियां देने के संदर्भ में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को तीन बार शिकायत पत्र भी दिए, लेकिन अयोध्या पुलिस द्वारा अपराधियों को संरक्षण प्रदान करते हुए कोई भी उचित कार्यवाही नहीं की गई और सिर्फ लीपापोती ही करती नजर आ रही है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पीड़िता और पूरे परिवार को आए दिन विपक्षियों द्वारा जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं, जिससे परिवार में दहशत का माहौल है और किसी भी दिन कोई अप्रिय घटना घटित हो सकती है।
*लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर सवाल*
यह घटना न्याय व्यवस्था पर एक बड़ा सवाल खड़ा करती है। अगर देश के चौथे स्तंभ, यानी पत्रकारों को ही न्याय नहीं मिल रहा है और उनके परिवार सुरक्षित नहीं हैं, तो आम जनता को न्याय कैसे मिल पाएगा? यह एक गंभीर चिंता का विषय है जो आने वाले समय में लोकतंत्र की बुनियाद को कमजोर कर सकता है। BMF की मांग है कि इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप कर दोषियों को सजा दिलाई जाए और पत्रकार परिवार को सुरक्षा प्रदान की जाए।
एके बिंदुसार ने कहा कि 1 अगस्त से 22 अगस्त तक पूरे देश में पत्रकारों के सुरक्षा और भ्रष्टाचार के मामले में विभिन्न मांगों को लेकर एक ज्ञापन पत्र देने का कार्यक्रम चलाया जा रहा है जिसमें पीड़ित पत्रकार के भी मुद्दे को रखा जाएगा।