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भारतीय मीडिया फाउंडेशन ने नीतीश कुमार के बयान पर जताया आभार, पत्रकारों की जनगणना की मांग

भारतीय मीडिया फाउंडेशन ने नीतीश कुमार के बयान पर जताया आभार, पत्रकारों की जनगणना की मांग
नई दिल्ली
भारतीय मीडिया फाउंडेशन (BMF) ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा हाल ही में पत्रकारों के लिए पेंशन राशि बढ़ाने की घोषणा का स्वागत किया है। BMF ने इस कदम के लिए मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया है, लेकिन साथ ही बिहार में अधिकांश पत्रकारों को सरकारी योजनाओं का लाभ न मिलने पर अपनी चिंता भी व्यक्त की है।
BMF की केंद्रीय मैनेजमेंट अफेयर्स कमेटी के केंद्रीय अध्यक्ष एके बिंदुसार ने कहा कि बिहार में गिने-चुने पत्रकारों को ही सरकार की योजनाओं का फायदा मिल रहा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया के लगभग 90% पत्रकार इन योजनाओं से वंचित हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बयान–
बिंदुसार ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के उस बयान का हवाला दिया जिसमें उन्होंने कहा:
“मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि बिहार पत्रकार सम्मान पेंशन योजना के तहत अब सभी पत्रकारों को हर महीने ₹6,000 की जगह ₹15,000 पेंशन की राशि प्रदान करने का विभाग को निर्देश दिया है। साथ ही बिहार पत्रकार सम्मान पेंशन योजना के अंतर्गत पेंशन प्राप्त कर रहे पत्रकारों की मृत्यु होने की स्थिति में उनके आश्रित पति या पत्नी को जीवन पर्यन्त प्रतिमाह ₹3,000 की जगह ₹10,000 की पेंशन राशि दिए जाने का निर्देश दिया है। लोकतंत्र में पत्रकारों की महत्वपूर्ण भूमिका है, वे लोकतंत्र के चौथे स्तंभ हैं और सामाजिक विकास में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। पत्रकारों की सुविधाओं का हम लोग शुरू से ख्याल रख रहे हैं ताकि वे निष्पक्ष होकर अपनी पत्रकारिता कर सकें और सेवानिवृत्ति के उपरांत सम्मानजनक तरीके से अपना जीवन यापन कर सकें।”
BMF की जनगणना की मांग
मुख्यमंत्री के इस सकारात्मक कदम की सराहना करते हुए, बिंदुसार ने कहा कि जब तक पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ताओं की गणना नहीं होती, तब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाएगा कि वास्तविक लाभार्थी कौन हैं। इसी संदर्भ में, उन्होंने प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया के पत्रकारों के साथ-साथ भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहे सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए जनगणना कराने की पुरजोर मांग उठाई है।
उनका मानना है कि इस तरह की जनगणना से जमीनी स्तर पर पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की वास्तविक संख्या का पता चल सकेगा और यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि सरकारी योजनाओं का लाभ अधिक से अधिक जरूरतमंदों तक पहुंचे।
यह मांग ऐसे समय में आई है जब मीडियाकर्मियों के कल्याण और उन्हें मिलने वाले समर्थन को लेकर बहस चल रही है, खासकर उन लोगों के लिए जो समाज के हित में काम कर रहे हैं। BMF का मानना है कि इस जनगणना से न केवल पारदर्शिता आएगी, बल्कि यह भी सुनिश्चित होगा कि सरकार की कल्याणकारी योजनाएं सही मायने में योग्य व्यक्तियों तक पहुंचें।