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कोई भी जांच एजेंसी अधिवक्ता को सीधे नहीं बुला सकती : डॉ मुरलीधर सिंह “अधिवक्ता “

कोई भी जांच एजेंसी अधिवक्ता को सीधे नहीं बुला सकती : डॉ मुरलीधर सिंह “अधिवक्ता “
अयोध्या धाम
 तथा उच्चतम न्यायालय में  सहायकों आदि की नियुक्ति में अनुसूचित जनजाति एवं जाति के वर्ग के लोगों को आरक्षण का प्रावधान किया गया है |
मा सर्वोच्च न्यायालय न्यायालय द्वारा वकील अधिवक्ता एवं जांच एजेंसियों के संबंध में ऐतिहासिक फैसला कोई भी जांच एजेंसी सीधे किसी वकील को नोटिस या किसी जांच में नहीं बुला सकती ,
 वकील क्लाइंट का न्यायिक प्रतिनिधि होता है किसी भी जांच एजेंसी को वकील को सीधे बुलाने का अधिकार नहीं है
मा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आंध्र प्रदेश पश्चिम बंगाल एवं अन्य राज्यों के मामले को निश्तरित करते हुए यह दिशा निर्देश दिया गया है उल्लेखनीय है की शराब घोटाले में एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट( ED)एड द्वारा वकीलों को बुलाया गया था जो पूर्णता गैर कानूनी था
 इस स्थिति को माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने गंभीर मानते हुए इस पर तत्काल रोक लगाया है |
तथा कहां है की वकील को बुलाना न्यायपालिका में हस्तक्षेप करना या स्वतंत्र न्यायपालिका के कार्यों में बाधा डालना है
अधिवक्ता या वकील क्लाइंट का प्रतिनिधि होता है और उसको निर्धारित प्लेटफार्म पर ही अपनी बात निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार रखने का है |
कोई भी जांच एजेंसी  पुलिस एजेंसी या अन्य कोई जांच एजेंसी किसी वकील को सीधे नोटिस भी नहीं दे सकती ,
और नहीं बुला सकती ,माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अपने 75 वर्ष के न्याय के इतिहास में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के व्यक्तियों को लाभार्थियों को सेवा में सीधे आने एवं प्रोन्नत पाने हेतु सर्वोच्च न्यायालय सेवा  नियमावली में संशोधन किया है इसे 15% अनुसूचित जाति के तथा 7:५ परसेंट अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति मा सर्वोच्च न्यायालय के सहायक जैसे रजिस्टर निजी सहायक कोर्ट अटेंडेंट आदि मामलों में भरे जाएंगे
माननीय उच्च न्यायालय में एवं अन्य न्यायालय में क्या प्रक्रिया पहले से ही लागु थी इस प्रक्रिया को आगे बढ़ने का निर्णय माननीय मुख्य न्यायमूर्ति श्री बी आर गवई  जी के नेतृत्व में लिया गया है ,
जो एक सराहनीय कदम है इससे  लोकतंत्र मजबूत होगा  |

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