हिन्दी से ही हमारे सनातन धर्म व संस्कृति की सभ्यता सुरक्षित रहेगी : राष्ट्रीय महामंत्री डॉ0 सम्राट अशोक मौर्य

हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित किए बिना देश की सभ्यता व संस्कृति सुरक्षित नहीं, हिंदी से ही हमारे अस्मिता की पहचान है, हिंदी के बिना संपूर्ण और समृद्ध राष्ट्र की कल्पना अधूरी है उक्त वक्तव्य आज श्रृंगारहाट अयोध्या स्थित रघुनाथ भवन वैद जी के मंदिर में हिंदी प्रचार प्रसार सेवा संस्थान की बैठक की अध्यक्षता करते हुए समाज सेवी कबीर मठ विज्ञान आश्रम मुहाबरा बाजार अयोध्या के यशस्वी महंत केशव दास जी ने व्यक्त किया,उक्त अवसर पर उन्होंने कहा कि हिंदी ही हमारे सनातन धर्म व संस्कृति की संवाहक है, बैठक को संबोधित करते हुए संस्थान के डाo बाबू राम मौर्य ने कहा कि हिंदी के राष्ट्रभाषा बने बिना भारत देश अधूरा है, संस्थान के उपाध्यक्ष विंध्यवासिनी शरण पांडिया ने कहा कि आगामी 14 सितंबर हिंदी दिवस के पावन पर्व पर संस्थान द्वारा तुलसी स्मारक भवन (रानी बाजार चौराहा) अयोध्या में संगोष्ठी, सम्मान समारोह व सांस्कृतिक आयोजन किए गए हैं जिसमें आप लोग पूरी सहभागिता निभाईये। बैठक का संचालन करते हुए संस्थान के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ0 सम्राट अशोक मौर्य ने आए हुए सभी साहित्य प्रेमियों का आभार प्रकट होते हुए अपील की कि आगामी 14 सितम्बर के कार्यक्रम को तन मन धन से जुट कर सफल बनावें जिससे अयोध्या की धरती से देश को एक सशक्त संदेश जाए और हिंदी देश की राष्ट्रभाषा व विश्व की संपर्क भाषा बन सके, जिससे हमारी संस्कृति और सभ्यता सुरक्षित रह सके। समारोह को सुव्यस्थित संचालित करने के लिए विभिन्न समितियां गठित करने का प्रस्ताव भी मंजूर किया गया, जिसमें प्रमुख रूप से सम्मान समारोह की प्रतिभाओं को चुनने के लिए समिति गठित करने का निर्णय लिया गया l

तैयारी बैठक में उक्त अवसर पर अपने सुझाव व सलाह संप्रेषित करने वालों में प्रमुख रूप से वरिष्ठ समाजसेवी सपा नेता विद्यालय के प्रबंधक, प्रधानाचार्य राम बक्स यादव, संस्थान की महिला शाखा प्रदेश महासचिव डाoअनुराधा मौर्य,वरिष्ठ पत्रकार नौशाद आलम,अनूप कुमार श्रीवास्तव,नौरंगी गुप्ता, समाजसेवी बसंत राम, मोहम्मद फरदीन,संस्थान की नगर प्रभारी महिला शाखा लक्ष्मी पांडेय, समाजसेवी अनुपमा जायसवाल, रेखा जायसवाल, शालिनी पांडेय,जियालाल कनौजिया,ओमप्रकाश सोनी, उच्च न्यायालय के अधिवक्ता मृगेंद्र पाल सिंह सहित तमाम साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।




