
लाइसेंसी निजी दुकानदारों को निर्धारित दर पर बिना टैगिंग के खाद उपलब्ध कराई जाय: राष्ट्रीय महासचिव घनश्याम वर्मा
अयोध्या
पर्याप्त मात्रा में यूरिया खाद होने के बावजूद भी कृषि विभाग द्वारा कुशलतापूर्वक वितरण न करा पाने के कारण यूरिया खाद की किल्लत हुई और किसान परेशान हुआ जनपद में 11 विकास खण्डों और लगभग 800 ग्राम सभाओं के किसानों को मात्र 91 साधन सहकारी समितियां के माध्यम से खाद का वितरण कराकर प्रशासन ने भीड़ इकट्ठा कराया और अशांति पैदा करने का काम किया यदि साधन सहकारी समितियां के साथ-साथ लगभग 1000 लाइसेंसधारी निजी दुकानदारों को भी निर्धारित दर से पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध करा दी जाती तो कोई भी किसान परेशान न होता, जानकारी मिली है कि खाद एजेंसियां एवं थोक विक्रेताओं द्वारा फुटकर विक्रेताओं को महंगे दामों पर टैगिंग के साथ खाद देने और वर्तमान समय में प्रशासनिक हस्तक्षेप के कारण निजी दुकानदारों ने खाद बेचने में असमर्थता जाहिर की है साधन सहकारी समितियां के अध्यक्षों, डेलिगेटो तथा सत्ता पक्ष के नेताओं द्वारा समितियां से रात में, ट्रैकों से रास्ते में खाद ले ली जा रही है जिसके कारण खाद की किल्लत हुई है।

- उक्त आरोप लगाते हुए भारतीय किसान यूनियन की राष्ट्रीय महासचिव घनश्याम वर्मा ने कहा कि साधन सहकारी समितियों को समिति पर पहुंचाकर मु०266.50 पैसे प्रति बोरी के हिसाब से यूरिया दी जाती है जिसमें भी लगभग ₹10 प्रति बोरी के हिसाब से साधन सहकारी समितियों को कमीशन मिलता है ठीक उसी प्रकार से यदि निजी दुकानदारों को भी 266.50 पैसे प्रतिबोरी के हिसाब से बिना टैकिंग के निजी दुकानों पर यूरिया खाद को पहुंचाया जाता और कमीशन के रूप में निजी दुकानदारों को मात्र ₹5 प्रति बोरी ही मिलता तो निजी दुकानदारों को खाद बेचने में कोई समस्या न होती और जनपद में यूरिया खाद का संकट न होता। वर्तमान समय में खाद एजेंसियों और थोक विक्रेताओं द्वारा यूरिया खाद को महंगे दामों पर टैगिंग के साथ उपलब्ध कराया जा रहा है जिसके कारण यूरिया खाद बेचना घाटे का धंधा हो गया है परिणामत: निजी दुकानदार यूरिया खाद बेचना नहीं चाहते। घनश्याम वर्मा ने मांग किया है कि साधन सहकारी समितियों के साथ-साथ निजी दुकानों को भी बिना टैगिंग के साथ निर्धारित दर पर यूरिया खाद उपलब्ध कराई जाए और सरकारी कर्मचारियों की देखरेख में वितरण कराया जाए तथा साधन सहकारी समितियां के पदाधिकारी तथा सत्ता पक्ष के नेताओं के दबाव में समितियां से रात में तथा ट्रैकों से रास्ते में खाद की बिक्री न की जाय तो खाद की समस्या से निजात मिल जाएगा किसान भी परेशान नहीं होगा और कृषि उत्पादन भी बढ़ जाएगा।




