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लोकतंत्र की रक्षा भाषणों से नहीं बल्कि पत्रकारों की सुरक्षा से होती है : वरिष्ठ सम्पादक श्री अनिल कुमार सिंह 

लोकतंत्र की रक्षा भाषणों से नहीं बल्कि पत्रकारों की सुरक्षा से होती है : वरिष्ठ सम्पादक श्री अनिल कुमार सिंह
लखनऊ
पत्रकार समाज की गतिविधियों समस्याओं और विचारों को उजागर करके उसे एक दर्पण की तरह दिखाते है |
पत्रकार पत्रकारिता के महत्व और समाज के प्रति उसकी जिम्मेदारी को दर्शाता है, जो लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में समाज को सूचित करने और जनहित में कार्य करने का काम करती है पत्रकार समाज में घटित होने वाली घटनाओं चुनौतियों और सफलताओं को जनता के सामने रखते ठीक वैसे ही जैसे आईना प्रतिबिंब दिखता है। पत्रकार समाज की बुराइयों और कुरीतियों को सामने लाकर शासन व प्रशासन को उचित कार्रवाई करने में मदद करते हैं।
पत्रकार सकारात्मक सोच के साथ लोगों को जागरूक करता है। पत्रकारिता में तमाम ऐसे लोग हैं जो बिना किसी स्वार्थ दर या प्रलोभन के अपने जीवन को राष्ट्र और समाज के प्रति समर्पित किए हुए हैं ऐसे पत्रकार जिंनकी कलम सत्ता की चापलूसी नहीं, सच्चाई की शपथ लेती है वह जानते हैं कि उनकी राह कठिन है, लेकिन उन्हें यह भी पता है कि लोकतंत्र की रीढ को मजबूत रखने की जिम्मेदारी उन्हीं के कंधों पर है। और यह कर्तव्य किसी सुविधा वेतन या मान्यता से प्रेरित नहीं है बल्कि आत्मिक अनुशासन से उत्पन्न होता है |
सरकारों को यह समझना होगा कि लोकतंत्र की रक्षा महज भाषणों से नहीं बल्कि पत्रकारों की सुरक्षा से होती है।
पत्रकारों को उन चेहरों को उन जज्बों को प्रणाम करना चाहिए जो तमाम संकटों के बावजूद पत्रकारिता को मात्र पेशा नहीं एक नैतिक धर्म मानते हैं।

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