अयोध्या धामधर्म

श्री कृष्ण के अर्जुन संवाद एवं गीता संवाद को पढ़ा जाए सभी तत्व  मिल जाएगा :  डॉ मुरलीधर सिंह शास्त्री “अधिवक्ता उच्च न्यायालय”

श्री कृष्ण के अर्जुन संवाद एवं गीता संवाद को पढ़ा जाए सभी तत्व  मिल जाएगा :  डॉ मुरलीधर सिंह शास्त्री “अधिवक्ता उच्च न्यायालय”
अयोध्या धाम
जगतगुरु योगेश्वर भगवान श्री कृष्ण का जन्म आज से लगभग 5252 वर्ष पूर्व मथुरा की पावन धरती पर जमुना के किनारे हुआ था
उनके जयंती पर सभी को हार्दिक बधाई
रोहिणी नक्षत्र आज नहीं 17 अगस्त को मिल रही है (महावीर पंचांग के अनुसार)
भगवान श्री कृष्ण का जन्म मथुरा में उनका राज्य द्वारिका में एवं साकेत सौराष्ट्र के सोमनाथ केभालका  तीर्थ के हिरण्य नदी के तट से पहले बलराम जी का श्री कृष्ण जी का साकेत गमन हुआ था |
उनका दाह संस्कार  श्री अर्जुन जी द्वारा उनके पौत्र ब्रजनाभ की उपस्थिति में किया गया
भगवान श्री कृष्ण का हृदय ही जगन्नाथ पुरी के जगन्नाथ जी में विराजमान है |
डॉक्टर मुरलीधर सिंह शास्त्री अधिवक्ता माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद एवं लखनऊ पीठ की पूर्व उपनिदेशक अयोध्या धाम एवं मुख्यमंत्री मीडिया सेंटर लखनऊ कलम से तथा  भारत सरकार के पूर्व सूचना अधिकारी भी रहे |
 वृंदावन 16 अगस्त 2025आज से लगभग 52 52 वर्ष पूर्व तथा इशा शताब्दी के 3228 वर्ष पूर्व  जगतगुरु योगेश्वर भगवान श्री कृष्ण का मथुरा में भगवान विष्णु के पूर्ण कलाओं से युक्त अवतार हुआ  भादो मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र युक्त मध्य रात्रि को बुधवार के दिन हुआ था रोहिणी नक्षत्र 16 अगस्त की बजाय 17 अगस्त को पड़ रही है तथा सूर्य देव अपनी राशि सिंह राशि में विराजमान हो रहे हैं उनके साथ चंद्रमा और केतु भी विराजमान होंगे ( वैदिक ज्योतिष के अनुसार)
श्री कृष्णा में भगवान विष्णु की तरह सृजन करने की  पालन करने की एवं संघार करने की पूर्ण क्षमतावान देव इस क्षमता का इन्होंने द्वापर काल में स्पष्ट प्रमाण दिया था
यह लीलाधारी कृष्णा  विनाश धारी कृष्ण पालन हारी  कृष्णा संघर्षकारी कृष्णा सभी रूपों में इसके उनके जीवन के 125 वर्ष के  कालअवधि में उल्लेख मिलते हैं जैसे जैसे उनके परिवार का सृजन होना उनकी आठ पटरानियां और 16 हजार अन्य रानियां सभी रानियां के दस दस पुत्र एक-एक पुत्री तथा
 इस तरह कौरव वंश के पांडव वंश के तथा उनके रिश्तेदारों के भूमंडल पर विस्तार उन्हीं की काल अवधि में हुआ था उन्होंने सभी को जन्म दिया पालन पोषण किया तथा अंत में अपने जीवन काल में ही सभी का संघार कर दिया कि पृथ्वी का भार उत्तर दिया  एक कृष्ण की अलौकिक लीला इस लीला को  आजकल के व्यावसायिक प्रवचन कार जो जानते ही नहीं केवल अपने प्रवचन के माध्यम से आम जनता को गुमराह कर रहे हैं तथा व्यवसाय के रूप में इसका प्रयोग कर रहे हैं ईश्वर के और भगवान श्री कृष्ण के तथ्य को नहीं जानते
श्री ब्रह्मा जी ने अपने ब्रह्म संगीता में कहा है ईश्वर परम कृष्णा सच्चिदानंद विग्रह कहां एवं सभी कर्म का कारण बताया यह बात पूर्ण रूप से उल्लेखित है उसकी सभी को मनाना चाहिए या पालन करना चाहिए लोगों को भ्रम है की श्री कृष्णा केवल गोपियों के  साथ नाचने गाने वाले हैं  |
श्री कृष्ण ने लगभग अपने जीवन काल में 1200 से ज्यादा युद्ध लड़े थे और लगभग एक हजार से ज्यादा मंदिरों की स्थापना ज्यादातर मंदिर भगवान शंकर एवं देवी आदि शक्ति पर आधारित थे उनके जन्म के दिन ही मां यशोदा गर्भ से मां अष्टभुजी का जन्म हुआ था जो विंध्याचल में निवास करती है भगवान श्री कृष्ण के विषय में श्रीमद् भागवत में आधी बातें सही लिखी गई है और आधी बातें कल्पना पर आधारित है इनके पूर्ण जीवन जानने के लिए महाभारत को पद्म पुराण को विष्णु पुराण को ब्रह्म  एवं  गर्ग संहिता को पढ़ना पड़ेगा जो की श्रीमद् भागवत में मात्र 18000 श्लोक जबकि महाभारत में महाभारत जय संगीता में एक लाख से ज्यादा श्लोक इन श्लोक का पद्य अनुवाद भाव अनुवाद हो चुका है ,कोई भी व्यक्ति गीता प्रेस या वेंकटेश प्रेस की या अन्य प्रकाशक की पुस्तक पढ़ सकता है उक्त बिंदुओं पर मैं किसी से भी कहीं से भी कहीं भी चर्चा करने को श्री कृष्णा वीरता के युद्ध नीति  कूटनीति के विषय में एवं ईश्वरीय सत्ता के मुख्य केंद्र थे यदि श्री कृष्ण भगवान श्री कृष्ण के अर्जुन संवाद एवं गीता संवाद को पढ़ा जाए सभी तत्व  मिल जाएगा |
 ओम कृष्ण शरणम गच्छामि जगतगुरु शरणम गच्छामि
शरणम गच्छामि

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!