अयोध्या धामधर्म
श्री राम जन्मभूमि मंदिर ट्रस्ट ने नियमित रामकोट परिक्रमा का किया शुभारम्भ

श्री राम जन्मभूमि मंदिर ट्रस्ट ने नियमित रामकोट परिक्रमा का किया शुभारम्भ
अयोध्या धाम
पौराणिक तीर्थस्थलों की परिक्रमा का इतिहास ऋग्वेद और अथर्ववेद जितने पुराने ग्रंथों से जुड़ा है, जहाँ पवित्र स्थलों का उल्लेख मिलता है। यह परंपरा वैदिक काल के बाद और अधिक लोकप्रिय हुई, जब लोगों ने चार धाम (बद्रीनाथ, द्वारका, रामेश्वरम, जगन्नाथपुरी अयोध्या मथुरा काशी) जैसी जगहों की परिक्रमा शुरू की, जिससे भारतीय संस्कृति की एकता बनी रही। परिक्रमा करने के पीछे धार्मिक मान्यताएं, जैसे देवताओं को प्रसन्न करना, मन्नतें मांगना और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करना शामिल हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार त्रिलोक के स्वामी प्रभु श्री राम का बाल जन्म स्थान जो अब विश्व प्रसिद्ध मंदिर सुंदर छवि भव्यतावाला,लोगों को लुभा रहा हो ऐसे में पौराणिक रामकोट की परिक्रमा का फल कलयुग में अमृत की तरह अनंत फल दाई है वह भी मोक्षदायिनी प्रभु श्री राम की नगरी अयोध्या धाम जहां प्रभु का निज धाम रहा ,इसी क्रम में ट्रस्ट ने एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है जो अयोध्या वासियों के लिए ही नहीं अपितु देश-विदेश के भी आने वाले दर्शनार्थियों के लिए सरल सुगम साध्य और अमृतमई फल देने वाला सिद्ध होगा,जहां जिस भूमि पर स्वयं ब्रह्म ने अपना बाल्यावस्था नंगे पैर अपनी सारी लीलाएं की हों ऐसी भूमि को कोटि कोटि प्रणाम है श्री राम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट ने पुनः उसे पुरानी परंपरा को जागृत किया है इसी क्रम में आज प्रातः श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र सहित रामकोट परिक्रमा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

राममंदिर ट्रस्ट ने नियमित रामकोट परिक्रमा शुभारम्भ किया है। क्षेत्रीय जन प्रातः मॉर्निंग वॉक करते हैं, यदि 4 किलोमीटर की रामकोट परिक्रमा करें तो स्वास्थ्य लाभ के साथ पुण्य लाभ भी होगा।
अयोध्या की चार शास्त्रीय परिक्रमाएं हैं 84कोसी 14कोसी 5कोसी और रामकोट यानि अंतर्गृही परिक्रमा।
यह राममंदिर मुख्यद्वार से हनुमान चालीसा और राम नाम संकीर्तन के साथ प्रात: 5.30 बजे आरम्भ होती है। अनेक श्रद्धालु सम्मिलित होते हैं, और हो सकते हैं।
रामकोट रामदुर्ग यही क्षेत्र रामजी का राजप्रासाद था। आज भी पूरा रामकोट भूभाग ऊँचा है, जो इसकी महत्ता का भौगोलिक प्रमाण है। अस्तु!
हम तो यह भी कहेंगे यदि आप नियमित मॉर्निंग वॉक करते हैं और आपके नगर क्षेत्र में आपके आसपास कोई विशिष्ट देवस्थान सिद्धस्थान गौशाला आदि है तो प्रयास करिये चलते चलते उसका दाहिनावर्ती एक चक्कर लग जाये, यानि इसी बहाने आपको एक परिक्रमा का पुण्य भी मिल जायेगा।




