बुराई करना आसान है, परंतु अच्छा और कल्याणकारी कार्य करना अत्यंत कठिन है : -भगवान बुद्ध

बुराई करना आसान है, परंतु अच्छा और कल्याणकारी कार्य करना अत्यंत कठिन है : -भगवान बुद्ध
अयोध्या धाम
यह धम्मपद का अमर संदेश केवल शब्द नहीं, बल्कि जीवन का सत्य है। संसार में बुराई की ओर बढ़ना बहुत सरल है। क्रोध करना आसान है, लोभ में पड़ना सहज है, ईर्ष्या करना स्वाभाविक है और दूसरों को पीड़ा पहुँचाना तो मानो बिना किसी प्रयास के हो जाता है। बुराई वह मार्ग है जो हमें क्षणिक आनंद तो दे सकता है, लेकिन अंततः वह हृदय को विषाक्त कर देता है और चित्त को अंधकार में डुबो देता है।
इसके विपरीत, भलाई का मार्ग कठिन है। क्योंकि भलाई में त्याग की आवश्यकता है, करुणा की आवश्यकता है और सबसे बढ़कर आत्मसंयम की आवश्यकता है। किसी को क्षमा करना, शत्रुता के बदले मैत्री देना, स्वार्थ छोड़कर दूसरों का हित सोचना और अपने मन को पवित्र बनाए रखना—ये सब आसान नहीं हैं। यही कारण है कि बुद्ध कहते हैं, सच्चा साहस वही है जो भलाई को चुनता है, भले ही मार्ग कठिन हो।
अंधकार फैलाना सरल है, परंतु एक दीपक जलाना कठिन है। उसी प्रकार बुराई तुरंत फल देती है, लेकिन उसका फल विषैला और दुखदायी होता है। भलाई का फल धीरे-धीरे प्रकट होता है, परंतु एक बार जब वह खिलता है, तो जीवन को शांति, स्थिरता और अनंत सुख से भर देता है।
बुद्ध ने हमें यह मार्ग दिखाया कि मनुष्य का वास्तविक पराक्रम दूसरों को जीतने में नहीं, बल्कि स्वयं को जीतने में है। जब हम क्रोध पर संयम रखते हैं, लोभ पर विजय पाते हैं, और स्वार्थ से ऊपर उठकर करुणा का मार्ग अपनाते हैं, तब हम वास्तव में विजयी बनते हैं।
इसलिए बुद्ध का यह वचन हमें याद दिलाता है कि आसान मार्ग पर चलना कोई उपलब्धि नहीं है। कठिन और कल्याणकारी मार्ग ही मनुष्य को महान बनाता है। सच्चा सुख और शांति उसी व्यक्ति को प्राप्त होती है, जो अपने भीतर प्रकाश प्रज्वलित करता है और अंधकार को दूर करता है।
आइए, हम सब मिलकर संकल्प लें कि हम सरल बुराई की ओर नहीं, बल्कि कठिन किंतु कल्याणकारी भलाई की ओर बढ़ेंगे। यही जीवन का सार है




