
डॉक्टर को इंसानियत का रास्ता दिखा गई बूढ़ी दादी
काउंटर पर बैठी लड़की ने जब बुढ़िया से डॉक्टर की फीस के 200 रुपये मांगे तो बुढ़िया उसके मुँह की तरफ देखने लगी। फिर गुस्से मे बोली ” किस बात के दो सौ रुपये दूँ? अभी तेरे डॉक्टर ने देखा भी नही है और ना कोई दवाई दी? ” लड़की बोली ” दादी ये तो डॉक्टर साहब की फीस के दो सौ रुपये हैं। जांच और दवाई के पैसे तो बाद मे देने पड़ेंगे!” इतना सुनकर बुढ़िया का मुँह उतर गया। अपने पल्लू से बंधे 150 रुपये को मुट्ठी में दबाते हुए बोली ” मुझे नही दिखाना तेरे डॉक्टर को। लूट मचा रखी है। कहते हुए वह हॉस्पिटल से बाहर जाने लगी। उधर OPD मे बैठा डॉक्टर जो अपने हॉस्पिटल का मालिक भी था। स्क्रीन पर सब कुछ देख रहा था। वैसे तो उसने आज तक किसी मरीज को फ्री मे नही देखा था मगर पता नही आज क्यों उसके मन मे दया भाव जाग गया था। उसने उस बूढ़ी औरत को अपने कक्ष मे बुला लिया। बुढ़िया बोली ” मेरे पास डेढ़ सौ रुपया ही है बेटा।” डॉक्टर बोला ” कोई बात नही दादी। आप डेढ़ सौ दे देना। ” बुढ़िया बोली ” डेढ़ सौ भी पूरा नही दूँगी। तीस रुपया बस किराया भी तो लगेगा। घर कैसे जाऊंगी? ” डॉक्टर मुस्कराया फिर बोला ” ठीक है आप कुछ न देना।, अब बताओ तकलीफ क्या है? ” दादी ने तकलीफ बताई। डॉक्टर ने दादी की दो तीन जांच करवाई। बीपी चेक किया। दादी को सिर्फ बीपी की प्रोब्लम थी। इसलिए डॉक्टर ने अपने हॉस्पिटल के मेडिकल स्टोर से एक महीने की दवाई दे दी और आइंदा भी फ्री मे दवाई देने का वादा किया। बातों बातों मे दादी ने बताया कि अपनी विधवा बेटी के साथ रहती है। और इस दुनिया मे उसका कोई नही है। इस तरह दो तीन हजार का दादी का बिल माफ हो गया। और वह डॉक्टर को आशीष देती हुई चली गई। कि भगवान तुम्हे दुनिया की सारी खुशी दे। दादी के जाने के बाद डॉक्टर के आशांत मन को शांति मिली। वो इसलिए कि पिछले एक महीने से उसका अपनी पत्नी से झगडा चल रहा था। पत्नी घर छोड़ कर मायके जा चुकी थी। और तलाक़ की धमकी दे रही थी। रिश्ता टूटने के कगार पर था। उस दिन डॉक्टर का मन शांत रहा। ऐसे लगा जैसे बुढ़िया जाते जाते मन ठीक होने की दवाई दे गई हो। जब वह रात को घर पहुंचा तो देखा पत्नी घर मे मौजूद थी। उसे सब कुछ सपना सा लगा। पत्नी ने झगडा खत्म करने की बात की और अचानक सब कुछ सही हो गया। उस दिन के बाद डॉक्टर बदल गया। उसने अपनी फीस 200 रुपये की जगह 50 रुपये कर दी। और गरीबो का इलाज फ्री मे करने का संकल्प ले लिया। डॉक्टर समझ गया सबसे बड़ी खुशी तो मन की खुशी है धन की नही |




