
खजुराहो की के पुरातात्विक मंदिर की घटना का जिम्मेदार भारतीय सर्वेक्षण विभाग है : डॉ मुरलीधर सिंह शास्त्री “अधिवक्ता उच्च न्यायालय”
लखनऊ
मीडिया को मा सर्वोच्च न्यायालय के संवेदनशील मामलों में दिए गए निर्णय की व्याख्या से बचना चाहिए |
खजुराहो की के पुरातात्विक मंदिर की घटना का जिम्मेदार भारतीय सर्वेक्षण विभाग है |
डॉ मुरलीधर सिंह शास्त्री
अधिवक्ता मा उच्च न्यायालय इलाहाबाद एवं लखनऊ पीठ,
माननीय उच्च न्यायालय परिषर लखनऊ से
लखनऊ

खजुराहो के जावरी विष्णु मंदिर के संबंध में भारत के मुख्य न्यायाधीश की टिप्पणी को मीडिया व्याख्या करने से बचना चाहिए
यह राष्ट्रीय भावना का महत्वपूर्ण विषय है
भारत के मुख्य न्यायमूर्ति को इस प्रकरण में पुनः सुनवाई करनी चाहिए ,
इस पूरे घटना का जिम्मेदार भारतीय पुरातत्व विभाग एवं केंद्र सरकार का सांस्कृतिक मंत्रालय है |
अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए अनेक मंदिरों को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण सहमति से लेकर मरम्मत किया गया है ,जिसमें उत्तर प्रदेश एवं बिहार के के अनेक मंदिर एवं पुरातात्विक सर्वेक्षण स्थल है |
संबंधित अधिवक्ता श्री राजपूत द्वारा मुख्य न्यायमूर्ति को पत्र लिखा गया है पत्र के संज्ञान में लेते हुए न्यायमूर्ति को संबंधित जनहित याचिका को री कॉल करना चाहिए |
यह सामान्य वार्तालाप में वार्तालाप की टिप्पणी को किसी याचिका के निर्णय का भाग नहीं मानना चाहिए |
जहां तक न मुख्य न्यायमूर्ति एवं एवं न्यायमूर्ति मसीह की बेंच ने याचिका राकेश दलाल की याचिका की वैलिडिटी पर जो निर्णय दिया है वह उचित है |
सभी समस्या की कारन पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग है ,सबसे पहले याचिका करता के संबंधित अधिवक्ता के पत्र का जवाब केंद्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय पुरातत्व विभाग को दिया जाना चाहिए था |विधिक रूप से मुझे जानकारी है पुरातत्व विभाग की स्थापना 1861 में हुई थी भारत सरकार द्वारा 1958 में भी नियमित किया गया था 3650 से ज्यादा स्थान है | जिसका पुरातत्व विभाग सर्वेक्षक करता है |

के नाम पर पुरातत्व विभाग मनमानी करता है और यही समस्या का जड़ है , धार्मिक भावना को भड़काने में भी इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है | मेरा इस क्षेत्र में उत्तर प्रदेश के संबंध में सारनाथ के मंदिर जनपद ललितपुर के देवगढ़ मंदिर जनपद झांसी के किला एवं संबंधित मंदिर बारे में पुरातत्व विभाग मनमानी ढंग से अपने ढंग से कार्य को करता है| बिहार के बोधिसत्व मंदिर का भी मामला है ,
विभाग के अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करते हुए सेवा से बर्खास्त करना चाहिए सरकार के भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के सचिव जवाब देही तय करनी चाहिए , आजादी के शादी का 78 साल बाद भी इस मंदिर का मंदिर के प्रसिद्ध मूर्ति मूर्ति पर सर की स्थापना क्यों नहीं की गई
उसके लिए संबंधित विशेष अधिकारी जिम्मेदार हैं |
आई के स्रोतों की भी जांच करनी चाहिए ,अनेक मंदिरों को मरम्मत किया गया है |
इसमें भारत सरकार ने अनुमति भी दिया है केंद्र में और राज्य में जनता पार्टी की भारतीय जनता पार्टी की दोनों सरकार हैं तो 11 साल बाद तक इस मामले को क्यों लंबित किया गया याचिका करता की सामाजिक स्तर की जांच की जानी चाहिए , वह क्या करता है
उसका क्या धंधा है |
जय हिंद जय भारत जय सनातन धर्म




