अयोध्या धामधर्म
पितृपक्ष में तर्पण करने से पितरों को सांसारिक पापों से मुक्ति मिलती है : डा मुरलीधर सिंह शास्त्री “अधिवक्ता उच्च न्यायालय”

पितृपक्ष में तर्पण करने से पितरों को सांसारिक पापों से मुक्ति मिलती है : डा मुरलीधर सिंह शास्त्री “अधिवक्ता उच्च न्यायालय”
अयोध्या धाम
हमारे पितृपक्ष स्कूल 16 दिन के होते हैं 7 सितंबर से प्रारंभ हुआ है तथा 21 सितंबर अमावस को समापन होगा

अमावस के दिन श्रद्धालु अपने पितृ देवो और मात्रृ दवो को पूर्वजों को श्रद्धा सुमन अर्पित करें |बिहार सरकार ने गया का नाम गया जी कर दिया है |
डा मुरलीधर सिंह शास्त्री
अधिवक्ता
मा उच्च न्यायालय इलाहाबाद एवं लखनऊ
तथा पूर्व अधिकारी केंद्र एवं राज्य सरकार
पितृ पक्ष में श्रद्धालु गया जी के पिंडदान कर सकता है |
जिसमें प्रमुख रूप से विष्णुपदी प्रेतशिला सीता कुंड कागबली फाल्गुन नदी तट विष्णुपति मंदिर गयासुर घाट वेतरणी तालाब अक्षय वट्ट आदि प्रमुख स्थान है |
वहां पर अपने पूर्वजों के पिंडदान एवं सुमन अर्पित कर सकते हैं,भारतीय ज्योतिष एवं ज्योतिष दर्शन एवं सूर्य के राशि विचरन एवं चंद्र पर्व के अनुसार दो पक्ष होते हैं एक शुक्ल पक्ष एक कृष्ण पक्ष इन पक्षका का अलग-अलग महत्व है साल में कुल 24 पक्ष होते हैं पुरुषोत्तम मास लगने से 26 पक्ष हो जाते हैं उसी में एक पक्ष मातृ पितृ श्राद्ध एवं तर्पण पक्ष होता है |

प्रत्येक वर्ष हिंदू कैलेंडर के अनुसार भाद्र मास की पूर्णिमा से प्रारंभ होकर मास के कुवार अमावस्या तिथि को कल 16 दिन का होता है इसमें अपने मातृ पक्ष एवं पितृपक्ष के पूर्वजों के प्रति श्रद्धा करना भगवान सूर्य के सम्मुख उपस्थित होकर चावल तील एवं जल का कोर्स के साथ तर्पण करना होता है इसका मुख्य स्थान बिहार प्रांत के मगध क्षेत्र के गया जी में है इसका उल्लेख विशेष रूप से अनेक पुराणों में गरुण पुराण पद्म पुराण भविष्य महाभारत भागवत भागवत पुराण आदि में उल्लेख मिलता है |
तथा महाशिवपुराण के केदार खंड में भी इसका उल्लेख मिलता है केदार खंड में गया जी के साथ-साथबद्रीनाथ जी के पीछे ब्रह्मकपाल का भी वहां पर वहां पर पितृ देवों के उनका स्वर्गवास हो गया है तर्पण करने से
उनको सांसारिक पाप से निवृत्ति होती है
तथा साक्षात में ब्रह्म लोक एवं पुरुषोत्तम लोग जाते हैं |
मृत्यु के देवता भगवान शंकर अधिष्ठाता यमराज जी उनको आशीर्वाद देते हैं |

आज यह वर्ष इस वर्ष यह समय 7 सितंबर से प्रारंभ हुआ है तथा 21 सितंबर को समापन होगा | हम अमावस्या के तिथि 21 सितंबर को विशिष्ट रूप से समस्त पूर्वजों माता पीताओं के पक्ष श्रद्धांजलि एवं पिंडदान कर सकते हैं इसका हम सभी लोगों को वैदिक संस्कृति का पालन करते हैं |
पालन करना चाहिए इसमें हमारी हमारे संबंधित राज्य की सरकारों द्वारा व्यवस्था की जाती है जिसमें साफ सफाई शामिल होता है
मैं अपने पूर्वजों के साथ-साथ भारत के महान संतों के पूर्वजों आप सभी लोगों के पूर्वजों का भी नमन करता हूं आपसे अपील करता हूं अपने-अपने साधन के माध्यम से 21 तारीख के अमावस तिथि कोअपने पूर्वजों के या श्रद्धा दान करें |
जय हिंद जय भारत जय सनातन धर्म तीर्थ क्षेत्र गयाजी क्षेत्र



