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श्रीरामलला के विग्रह को श्रीहनुमान जी के विग्रह से दूर करने का अधिकार ट्रस्ट को किसने दे दिया : शरद शुक्ला उपाध्यक्ष

अयोध्या धाम
श्रीरामजन्मभूमि अयोध्या में वर्ष 1949 से श्रीरामलला विराजमान के गर्भगृह में उनके साथ प्राचीन प्रभु श्रीहनुमान जी महाराज का विग्रह भी पूजित होता रहा है।
कालांतर में जब श्रीरामलला टाट के मंदिर में स्थापित हुए तो उनके साथ भी श्रीहनुमान जी की वही प्राचीन प्रतिमा स्थापित हुई।
श्रीराम जन्मभूमि के पक्ष में सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय आने के बाद मार्च 2020 में जब श्रीरामलला अस्थाई मंदिर में स्थापित हुए तो वहां गर्भगृह में भी उनके साथ श्रीहनुमान जी का विग्रह स्थापित हुआ।
इसके उपरांत 22 जनवरी 2024 को जब श्रीरामलला अस्थाई मंदिर से निकलकर भव्य श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में स्थापित हुए तो जिम्मेदारों ने श्रीहनुमान जी के उस प्राचीन विग्रह को अस्थाई मंदिर में ही रहने दिए।
श्रीहनुमान जी महाराज का जो विग्रह वर्ष 1949 से श्रीरामलला के साथ पूजित होता रहा उसे ट्रस्ट के जिम्मेदारों ने श्रीरामलला के गर्भगृह से दूर कर दिया।
1949 से श्रीरामलला और श्री हनुमान जी महाराज का उस प्राचीन विग्रह के साथ पूजित होने की चली आ रही परंपरा को क्यों तोड़ा गया? श्रीरामलला के विग्रह को श्रीहनुमान जी के विग्रह से दूर करने का अधिकार इन जिम्मेदारों की किसने दे दिया?
आज Shri Ram Janmbhoomi Teerth Kshetra (श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट) के महासचिव श्री Champat Rai (चंपत राय) जी को पत्र लिखकर गर्भगृह में श्रीहनुमान जी की वही प्राचीन स्थापित करने की मांग की जो कि वर्ष 1949 से श्रीरामलला के साथ ही स्थापित थी।
यह हम जैसे करोड़ो श्रीराम जी के भक्तों एवं श्रीहनुमान जी के भक्तों के आस्था और विश्वास का प्रश्न है।
आशा है ट्रस्ट इस विषय पर शीघ्रातिशीघ्र विचार करके सकारात्मक कार्यवाही करेगा।