लखनऊ

सरकार हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए करोड़ों रुपया खर्च करती हैं पर वह मात्र दिखावा है: डॉ मुरलीधर सिंह शास्त्री “अधिवक्ता उच्च न्यायालय”

सरकार हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए करोड़ों रुपया खर्च करती हैं पर वह मात्र दिखावा है: डॉ मुरलीधर सिंह शास्त्री “अधिवक्ता उच्च न्यायालय”
अयोध्या धाम
 सफल बनाने के लिए  सरकार के मंत्री नेता अधिकारी अपना अपना हस्ताक्षर /सिग्नेचर हिंदी में करें दूसरी भाषा के रूप में संस्कृत को मान्यता दें |
 डॉक्टर मुरलीधर सिंह शास्त्री अधिवक्ता
मा उच्च न्यायालय इलाहाबाद एवं लखनऊ पीठ
14 सितंबर को हम लोग हिंदी दिवस मनाते हैं 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा में हिंदी को राजभाषा के रूप में मान्यता दी गई थी आज संविधान के लागू होने के 75 साल बाद भी हिंदी को सम्मान नहीं मिला जीतना  इसको मिलना चाहिए , इसके पीछे केंद्रीय और राज सरकारी ही जिम्मेदार हैं |
 न्यायपालिका की लगभग समस्त कारवाइयां अंग्रेजी में होती है संसदीय कार्यवाही भी अंग्रेजी हिंदी में होती है |बड़ी समस्या है कि जो अधिकारी या नेता काम करते हैं कोई अपना हस्ताक्षर एवं सिग्नेचर भी अंग्रेजी में करते हैं |
 केंद्रीय और राज सरकारी अपने हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए सरकार हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए गोष्ठी एवं कार्यक्रम करोड़ों रुपया खर्च किए जाते हैं पर वह मात्र दिखावटी होते हैं | मैं आज हिंदी दिवस के अवसर पर अनुरोध करूंगा हृदय से हिंदी को अपना कर एवं आगे बढ़ाएं दूसरी भाषा के रूप में संस्कृत भाषा को मान्यता दें  |
तभी राष्ट्र एक होगा न्यायपालिका की और विज्ञान की सभी कार्यक्रम हिंदी में ही किया जाए ,दक्षिण पश्चिम के राज्यों में के लिए कोई अपनी मातृभाषा में भी करें और और अंग्रेजी में भी करें और संस्कृत भाषा को अपनाकर आगे बढ़ाएं |
जय हिंद जय भारत
जय राष्ट्रभाषा हिंदी
 जय भारतीय संविधान

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