अयोध्या धामसुरक्षा व्यवस्था

श्री राम अस्पताल बना पार्किंग, श्री राम जन्मभूमि मंदिर की सुरक्षा पर मंडराता खतरा

श्री राम अस्पताल बना पार्किंग, श्री राम जन्मभूमि मंदिर की सुरक्षा पर मंडराता खतरा
अयोध्या धाम
रामलला की नगरी अयोध्या, जहां सुरक्षा को लेकर केंद्र से लेकर प्रदेश सरकार तक हमेशा अलर्ट मोड में दिखाई देती है, वहां आजकल सुरक्षा की एक ऐसी चूक सामने आई है जिसने सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी है। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर से सटी हुई दीवार पर बना श्रीराम संयुक्त अस्पताल इन दिनों सुरक्षा के बजाय लापरवाही का गढ़ बनता जा रहा है। सूत्रों के अनुसार अस्पताल की ओपीडी में जहां रोज़ाना सिर्फ़ 300-400 मरीज इलाज कराने आते हैं, वहीं अस्पताल परिसर में रोज़ाना हजारों दोपहिया चार पहिया वाहन खड़े मिलते हैं। सवाल यह उठता है कि जब इतने कम मरीज आते हैं तो फिर इतनी बड़ी संख्या में गाड़ियाँ अस्पताल के पीछे किसकी अनुमति से पार्क हो रही हैं? स्थानीय सूत्र बताते हैं कि अस्पताल में इलाज कराने की आड़ लेकर कई लोग सीधे पार्किंग का इस्तेमाल करते हैं। वहीं, सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाल रहे सैनिक कल्याण निगम के भूतपूर्व सैनिक इस पूरे मामले में अनदेखी करते नज़र आते हैं। अगर कल को इस पार्किंग की आड़ में कोई असामाजिक तत्व घुसपैठ कर जाता है तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? क्या अस्पताल प्रशासन? क्या मंदिर ट्रस्ट? या फिर सुरक्षा में तैनात एजेंसियां?
*सुरक्षा समीक्षा पर भी सवाल*
चौंकाने वाली बात यह है कि हर तीन महीने में सुरक्षा समीक्षा के नाम पर ऊंचे-ऊंचे दावे किए जाते हैं।
अफसर बैठकों में सुरक्षा का खाका खींचते हैं, लेकिन ज़मीनी हकीकत यही है कि मंदिर की दीवार से सटा अस्पताल ‘सुरक्षा की सबसे बड़ी सेंध’ बना हुआ है। यह स्थिति राममंदिर जैसे हाई प्रोफाइल और संवेदनशील स्थल के ठीक पास है, जहां हर इंच की सुरक्षा का दावा किया जाता है।
अयोध्या की सुरक्षा पर यह चूक गंभीर सवाल खड़े करती है।
-क्या प्रशासन इस पर आंखें मूंदे रहेगा?-क्या सुरक्षा समीक्षा बैठकें सिर्फ़ औपचारिकता बनकर रह गई हैं?-और सबसे अहम अगर कोई अप्रिय घटना घटी, तो ज़िम्मेदारी कौन लेगा? यह मामला केवल अस्पताल और मंदिर तक सीमित नहीं है, बल्कि यह रामनगरी की समग्र सुरक्षा व्यवस्था की साख पर भी चोट करता है।

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