उत्तर प्रदेशराजनीति
प्रजापति समाज को सभी राजनीतिक दल वोट बैंक की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं : डॉ. अरुण प्रजापति

प्रजापति समाज को सभी राजनीतिक दल वोट बैंक की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं : डॉ. अरुण प्रजापति
उत्तर प्रदेश
प्रजापति समाज एकजागरुक,शिल्पी,परिश्रमी व ईमानदार समाज है! आज प्रत्येक क्षेत्र में प्रजापति समाज तेजी से आगे बढ़ रहा है, लेकिन राजनीति में प्रजापति समाज की अनदेखी सभी पार्टियों द्वारा लगातार जारी है! प्रजापति समाज को सभी राजनीतिक दल वोट बैंक की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं! लेकिन जब बात टिकट की आती है तो पूर्ण रुप से उसे खारिज कर दिया जाता है! प्रजापति समाज को अनदेखा कर देते है। देश की जनसंख्या में इनके प्रजापति कुम्हार समुदाय का हिस्सा 5 -6% के बीच माना जाता है, जो उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, गुजरात, झारखण्ड, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में विशेष रूप से प्रभावशाली है। फिर भी, प्रजापति समाज को राजनीतिक दलों द्वारा लोकसभा, राज्यसभा एवं विधानसभा चुनावों में राजनैतिक हिस्सेदारी नहीं दी जाती है , जो उनकी जनसंख्या और वोट बैंक के अनुरूप होनी चाहिए। सभी पार्टियाँ प्रजापति समाज के वोट तो चाहती हैं, लेकिन नेतृत्व और प्रतिनिधित्व देने में पीछे हट जाती हैं। इसका सबसे बड़ा दंश उत्तर प्रदेश का पूर्वांचल क्षेत्र छेल रहा है, क्योंकि आज तक पूर्वांचल क्षेत्र में किसी भी पार्टी ने किसी भी प्रजापति को कोई भी टिकट नहीं देने का काम किया हैं, जिससे प्रजापति समाज अपने को पूर्वांचल में ठगा व शोषित महसूस कर रहा है।
हाल ही में संपन्न हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में सभी पार्टियों द्वारा प्रजापति समाज की अनदेखी की गयी और एक भी टिकट किसी भी राजनीति दल द्वारा प्रजापति समाज को नहीं दिया गया! हमारा समाज मेहनती और ईमानदार है, लेकिन राजनीति में हमें सिर्फ वोटर के रूप में देखा जाता है। हमें टिकट चाहिए, नेतृत्व चाहिए, ताकि हम अपनी आवाज को विधानसभाओं और संसद में उठा सकें।
बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मियां तेज हो चुकी हैं। आज़ादी के बाद से आज तक बिहार में प्रजापति समुदाय के किसी व्यक्ति को विधानसभा का टिकट नहीं मिला है। विभिन्न राजनीतिक दलों चाहे वह कांग्रेस, जनता दल (यूनाइटेड), राष्ट्रीय जनता दल (RJD), भारतीय जनता पार्टी (BJP) या अन्य क्षेत्रीय दल हों, सभी ने प्रजापति समाज को विधानसभा टिकट देने में उदासीनता दिखाई है। उत्तर प्रदेश में देखे तो पश्चिम क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी ने धर्मवीर प्रजापति को एमएलसी बनाकर उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री का दर्जा देकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कमान उनके हाथ में पकड़ा दी, लेकिन पूर्वांचल के प्रजापति समाज को किसी भी पार्टी ने कोई राजनीतिक भागीदारी नहीं थी।
इस समुदाय को राजनीतिक दलों ने केवल वोटर के रूप में देखा है, न कि नेतृत्व के योग्य उम्मीदवार के रूप में। यह स्थिति समाज के लिए एक कड़वी सच्चाई बन चुकी है, जो उनके वोट बैंक की ताकत के बावजूद उनकी उपेक्षा को दर्शाती है। प्रजापति समाज की राजनीतिक हिस्सेदारी की लड़ाई अब भी जारी है। हमारी नई पीढ़ी अब चुप नहीं बैठेगी। हम हर उस दल से जवाब मांगेंगे, पार्टियां हमारे वोट तो लेती है, लेकिन हमें प्रतिनिधित्व नहीं देती है ।
प्रजापति समाज अब कह रहा है—अगर टिकट नहीं मिलेगा, तो वोट भी नहीं मिलेगा।
उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में संगठन से जुड़ा एक बड़ा चेहरा जो राष्ट्रवादी विचारधारा से ओत प्रोत छात्र जीवन से ही एक दशक तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में काम किये और वर्तमान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुसांगिक संगठन क्रीड़ा भारती में गोरक्ष प्रान्त में प्रान्त अध्यक्ष के दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं। मूलत देवरिया जनपद के रहने वाले डॉक्टर अरुण कुमार प्रजापति जो अपना केंद्र सिद्धार्थनगर में बनाकर संगठन का कार्य करते हैं। ऐसे राष्ट्रवादी विचारधारा से जुड़ने वाले लोग भी अपने समाज को राजनैतिक भागीदारी नहीं दिला पा रहे हैं।




