अयोध्या धाम
अयोध्या की मर्यादा के विपरीत होने वाली फिल्मी रामलीला पर तत्काल रोक लगाई जाए : श्रीमहंत जयराम दास वेदांती

अयोध्या की मर्यादा के विपरीत होने वाली फिल्मी रामलीला पर तत्काल रोक लगाई जाए : श्रीमहंत जयराम दास वेदांती
अयाेध्याधाम
आरएसएस रामलला नगर संघ चालक एवं सुप्रसिद्ध पीठ श्रीरामाश्रम रामकाेट, अयोध्याधाम के श्रीमहंत जयराम दास वेदांती महाराज ने कहा कि जो फिल्मी रामलीला यहां पर चल रही है। उसका हम साधु-संत, अयोध्यावासी बहिष्कार करते हैं। ऐसी फिल्मी दुनिया की लीला काे हम अयोध्या के लोग पसंद नहीं करते हैं। इससे अयोध्या का कोई लेना देना नहीं है। यह केवल मात्र सरकारी बजट लेकर पैसा खाने का सिस्टम है। इसके लिए करोड़ों रुपया सरकारी बजट संस्कृति विभाग से आता है। फिल्मी दुनिया के लोग उसी पैसे को लेकर दारु पी जाते हैं। इसलिए ऐसी रामलीला का हम बहिष्कार करते हैं। यह फिल्मी रामलीला पूर्ण रूप से अमर्यादित व अशास्त्रीय विधि से की जा रही है। जिसे तत्काल प्रभाव से रोके जाने की आवश्यकता है। रामलीला के नाम पर फिल्मी कलाकारों द्वारा भौंडा प्रदर्शन बर्दाश्त नही है। इस पवित्र पावन भूमि पर अमर्यादित आचरण के द्वारा अपसंस्कृति फैलाने का कार्य फिल्मी कलाकार कर रहे हैं। फिल्मी कलाकारों द्वारा हिंदू देवी-देवताओं का अपमान करना आम हो चुका है। इन फिल्मी कलाकारों द्वारा सिर्फ प्रभु श्रीराम का ही नही है। बल्कि राम रामचरित मानस के सभी पात्रों का खुले आम अपमान व उपहास किए जाने का जघन्य अपराध किया जा रहा है। फिल्मी कलाकार ऐसा अमर्यादित आचरण कर रहे हैं, जिससे रामलीला के प्रमुख पात्रों के अपमान को कदापि बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। महंत ने कहा कि जानकारी यह भी प्राप्त हुई है कि इन फिल्मी कलाकारों द्वारा मांस, मछली, मदिरा और धूम्रपान का निरंतर सेवन किया जा रहा है। ऐसे में यह सिर्फ प्रभु श्रीराम का अपमान ही नही है। बल्कि रामायण और रामचरित मानस के सभी पात्रों का भी खुलेआम उपहास और अपमान है। तत्काल प्रभाव से अयोध्या की मर्यादा के विपरीत होने वाली फिल्मी रामलीला पर रोक लगाने का कार्य किया जाए।

रामलीला की परंपरा लाखों वर्षों से हाेते हुए चली आ रही है। इसके माध्यम से हम लाेग जन-जन को भगवान राम के चरित्र की प्रेरणा और संदेश देते हैं। यह बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। यहां रावण वध पर्यंत लीला का मंचन करके समाज को एक मार्गदर्शन दिया जाता है। वह लीला ही अगर विकृत हो जाएगी। तो समाज में विकार आ जायेगा। आज फिल्मी दुनिया के लोग भी अयोध्या में आकर रामलीला कर रहे हैं। मैं केवल यही कहूंगा कि फिल्मी दुनिया के लोगों का काम फिल्म बनाना, लोगों का मनोरंजन करना और धन कमाना है। रामलीला एक आध्यात्मिक व धार्मिक कार्य है। इसके द्वारा हम धर्म की प्रेरणा देते हैं। रामलीला में जो पात्र हाेते हैं जैसे- भगवान श्रीराम, लक्ष्मण, भगवती जानकी, हनुमान के। इतने दिनों तक जब तक उनके ऊपर श्रृंगार होता है। तब तक हम उन्हें भगवान का स्वरूप मानते हैं। उनके चरणों में बड़े-बड़े महापुरुष प्रणाम करते हैं। तो ऐसी जो हमारी भावना है। वह भावना जब आहत होती है। तो अयोध्यावासियों को बहुत बड़ा दुख होता। निश्चित रूप से हर व्यक्ति को अपनी सीमा में रहकर कार्य करना चाहिए। फिल्मी दुनिया के जो लोग हैं। उनका जो काम, उनकी जो सीमा है। वह अपनी सीमा में रहें। फिल्मी दुनिया के लोग अगर इसी प्रकार से आकर धर्म के क्षेत्र में इस प्रकार करने लग जाए। तो निश्चित रूप से हमारे धार्मिक कार्यों में विकार और विकृति उत्पन्न हो जायेगी। अयोध्या वासियों की यह मांग और चाह है कि हमारी परंपरा, मर्यादा अयोध्या में जैसी थी। वैसी ही बनी रहे, इसको हम अगली पीढ़ी को हस्तांतरित कर सकें।




