गोवर्धन पूजा में गौ माता का विशेष महत्व पर एक छोटा सा विचार

गोवर्धन पूजा में गौ माता का विशेष महत्व पर एक छोटा सा विचार
अयोध्या धाम
*गोवर्धन धराधार गोकुल त्राणकारक। विष्णुबाहु कृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रभो भव।*
गो+वर्धन = गोवर्धन….
हम अपने जीवन से,गौ को नहीं हटा सकते।हमारी ऐसी परंपराएं हैं जो ऐसा होने नहीं देंगी,गौ पृथ्वी स्वरूपा माँ है,यह प्राणी नहीं प्राण हैऔर जानवर नही जीवन है इस देश की।
जीवन से मृत्यु तक के सारे के सारे १६संस्कार बिना गौ के नहीं हो सकते।
दीपावली के पाँच दिन के त्योंहारों के क्रम में आज गोमय यानि गोबर की पूजा की जाती है क्योंकि इसका मल, मल नही मलशोधक है,पूरे विश्व में केवल गोमाता के मल यानि गोबर की पूजा होती है,गो-वर,यह गौ का वरदान है,हवन स्थान को पवित्र करने के लिए गोबर का लेपन लगाया जाता है,सभी प्रकार के दोषों,यहाँ तक किआणविक प्रभाव को भी निष्फल करने की क्षमता है इस गोबर में,
इसलिए हमारे शास्त्र कहते हैं….
*”गोमय वसते लक्ष्मी”*
भगवान का जन्म ही गौ की रक्षा के लिए हुआ राम चरित मानस की चौपाई बोल रही है….
*विप्र धेनु सुर संत हित,लीन्ह मनुजअवतार।।*
सात्विकताऔर संस्कार की जननी है गौ,वेद कहते हैं….
*गावः विश्वस्य मातरः*
आज का पर्व कह रहा है यथासंभव गौ का रक्षण-संवर्धन करें!क्योकि यह मानव मात्र के लिए उपयोगी है।
आज के पर्व की महत्ता,गो के रक्षण संवर्धन से हैअर्थात गोवर्धन से है ।
*गोवर्धन की शुभकामनाओं से थोड़ाआगे बढ़ें,गो-वर्धन में रचनात्मक दृष्टिकोणअपनाएँ।
जय गौ माता




